Hindi Story (today )
/उड़ चल हारिल लिए हाथ में यही अकेला ओछा तिनका ऊषा जाग उठी प्राची में कैसी बाट, भरोसा किनका ! शक्ति रहे तेरे हाथों में छूट न जाए चाह सृजन की शक्ति रहे तेरे पाँवों में रुक न जाए यह गति जीवन की ! ऊपर..... बढ़ा चीर चल दिग्मंडल अनथक पंखों की चोटों से नभ में एक मचा दे हलचल ! तिनका तेरे हाथों में हैं अमर एक रचना का साधन तिनका तेरे पंजे में है विधना के प्राणों का स्पंदन! काँप न, यद्यपि दसों दिशा में तुझे शून्य नभ घेर रहा है रुक न यद्यपि उपहास जगत का तुझको पथ से हेर रहा है![©:/KESHAV SINGH :®/]
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